Fascination About hindi kahani lekhan
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हिंदी कहानी
जिससे श्रीकृष्ण की सहायता पाकर उनकी निर्धनता दूर हो सके, द्वारका पहुँचने पर श्रीकृष्ण ने महल में उनका करुनापूर्ण स्वागत किया.
सेठ ने जमीदार को लड़के के स्वप्न और निकाले जाने की बात बता दी. इस पर जमीदार ने लड़के को बुलाकर कहा- ऐ लड़के या तो तू अपने स्वप्न की बात बता दे अन्यथा आज मैं तुझे अपने यहाँ काम से निकाल दूंगा.
उस भूमि पर अपना अपना स्वामित्व जतलाने के लिए दोनों ही क्रोध से लाल पीले हो रहे थे. अपने अपने पक्ष में दलीले दे रहे थे.
खेत का मालिक मुह उतारकर आकाश में उड़ती हुई कुरज को एकटक देखता रहा.
काफी समय तक निहोरे किये, तब भी व न माना. फिर कुछ समय बाद भैसों का झुण्ड आया. कुरज ने करुण स्वर में विनती की.
उनकी पत्नी उनके पास बैठी हुई थी. इसके अतिरिक्त अन्य कई नौकर भी इनकी सेवा में जुटे हुए थे.
एक बार तीन दोस्त किसी शहर की मुख्य सड़क से होकर गुजर रहे थे.
बया के घौसले बेहद प्रसिद्ध होते है तथा यह बेहद सुंदर नीड़ बनाती हैं.
महात्मा जी ने कहा- भूमि का निर्णय तो हो ही जाएगा. वह कही भागे थोड़ी ही जा रही हैं. पहले भोजन हो जाए, ताकि मन मस्तिष्क ठिकाने आ जाए.
उनकी पत्नी जानती थी कि द्वारकाधीश श्रीकृष्ण उनके मित्र हैं. बहुत आग्रह करके उसने सुदामा को उनके पास भेजा,
इसलिए मैं चाहता हूँ कि सभी शिष्य विवाह में लगने वाली सामग्री एकत्र करे.
हिंदी में कहानी कुरज री विनती (विजयदान देथा द्वारा रचित)
मंत्री ने स्वप्न बताने से इनकार कर दिया. राजा ने क्रोधित होकर मंत्री को कैद में डाल दिया.
”बुद्धिर्यस्य बलं तस्य” इस पौराणिक कहानी में देवताओं के परीक्षा में सफल होने का यही आधार बताया गया हैं.